Monday, December 9, 2024

स्वामी निरंकारनन्द जी का हुआ पट्टटाभिषेक दी गई महामंडलेश्वर की उपाधि।

स्वामी निरंकारनन्द जी का हुआ पट्टटाभिषेक दी गई महामंडलेश्वर की उपाधि।

 

 

चन्दौली/प्रयागराज, महाकुम्भ 2025 से पूर्व 14वें अखाड़े के विस्तार में श्री पंच दशनाम श्री संत गुरुदत्त अखाड़े ने गुजरात से आए स्वामी निरंकारनन्द जी का पट्टाभिषेक कर महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई

इन अखाड़ा परिषद के संतों का मानना है कि संतों का काम सिर्फ धर्म कर्म के लिए समाज को एकत्रित करना मात्र नहीं है. बल्कि देश और देशवासियों की रक्षा सुरक्षा तथा उनके धर्म संस्कार को संरक्षित करते हुए नई पीढ़ी को धर्म संस्कार से विमुख होने से रोकना भी है. इसके बाद इस संत समागम में आए संतों को श्री पंच दशनाम श्री संत गुरुदत्त अखाड़ा परिषद के तरफ से उनके उपयुक्त दायित्व से मनोनीत किया गया.

 

गुजरात से आए एन.एन. तिवारी को निरंकार नंद गिरी महराज नामकरण कर श्री श्री 1008 महामण्डलेश्वर के रूप में मनोनयन किया गया. इसी तरह स्वामी अमरनाथ जी को उनके गुरु स्वामी कृष्णानंद ने स्वामी अमरेश्वर गिरि नाम दिया गया तद उपरान्त अमरेश्वर नंद का भी महामंडलेश्वर के पद पर मनोनयन किया गया इस दौरान संतो को प्रमाण पत्र भी दिया गया जूना अखाड़े में अलग हुए महंत चेतन गिरी नवगठित श्री संत गुरुदत्त अखाड़े के संरक्षक रूप में इस संस्कार समारोह में मौजूद थे. इस अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष गोल्डन गिरी महाराज व सचिव व प्रवक्ता श्री श्री 1008 महामण्डलेश्वर कृष्णा नन्द गिरि जी ने नए नए महामंडलों को सनातन धर्म के प्रचार और कुंभ में भाववाचक के लिए काम करने का संकल्प दिलाया.

 

अखाड़े के संस्थापक अध्यक्ष आदित्य आनंद गोल्डन गिरी महाराज ने कहा जगतगुरु नीला गिरी महाराज के सानिध्य में कृष्णा नंद गिरि महाराज की नेतृत्व में संत समाज के साथ यह अखाड़ा एक जुट हो संत समाज के साथ – साथ हिंदू समाज को भी एक सनातनिय आधार देगा तथा देश और देशवासियों की रक्षा सुरक्षा के लिए देश हित में कार्य करेगा.

 

इस अवसर पर महामंडलेश्वर बने निराकार नंद गिरी श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर निरंकार नंद गिरी जी ने कहा हमने भगवा धारण इसलिए किया कि हम देश के काम आ सके अपने धर्म की जय जयकार कर अपने धर्म की खिलाफ समाज में व्याप्त कुरीतियों से लड़ सकें. उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा- सनातन धर्म की प्राचीनता ही आधुनिकता को नई सोच समझ के साथ अपने संस्कार से जोड़ने और जुड़ने की ताकत देती है. सनातनी युवाओं सनातन धर्म को जानो ओर इससे जुड़ इस ओर नई ऊर्जा से आगे बढ़ो. अतिथि रूप में आमंत्रित परिवर्तन योगेश संस्था की तरफ से संस्था के संस्थापक योगेश त्रेहन जी ने संतों को अंगवस्त्र भेंट कर उनका सम्मान किया और संस्था के संरक्षक ॐ ऋषि चंद्र भूषण मिश्र कौशिक ने कहा हमारी युवा पीढ़ी जिस विज्ञान की चर्चा कर धर्म से बिरक्त हो रही वास्तविकता में उन्हें जानना चाहिए की सनातन धर्म उस विज्ञान को भी अपने अंदर समाहित करती है. इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रो आए संत व आस्थावान ज़न उपस्थित थे. संजय पांडे, सीमा सिंह, संजय शर्मा, शिव सखा सोनू सिंह दिलीप जायसवाल और सर्वजन सेवा, आंगनबाड़ी, हिन्दू परिषद, ब्राम्हण सभा से तमाम विशिष्ट ज़न और स्थानीय अतिथि उपस्थित रहे.

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