Friday, February 14, 2025

बरसात फसलों के लिए संजीवनी

चिरईगांव/वाराणसी । मौसम का बदलता मिजाज सब्जी उत्पादक किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। रविवार को दोपहर बाद शुरू हुई हल्की बरसात को देखकर सब्जी उत्पादक किसानों के माथे पर भीषण सर्दी में भी पसीना नजर आने लगा है। वहीं रबी फसलों गेहूं, चना, मटर, जौ के लिए ताजा बरसात संजीवनी साबित हुई है। लेकिन इस बरसात के बाद यदि कोहरे का कहर जारी रहा तो सब्जी की फसलें बीमार पड़ सकती है। हल्की बूंदाबांदी से आलू, टमाटर व फ्लवारिंग स्टेज पर पहुंच चुकी सरसों को आंशिक क्षति पहुंच सकती है।

: कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. नवीन कुमार सिंह ने बताया कि अचानक मौसम मे नमी होने व आसमान में बादल छाये रहने से

सब्जी उत्पादक किसानों की मुश्किलें बढ़ सकती है। ऐसे में आलू की अगेती फसल व टमाटर में झुलसा रोग का प्रकोप हो

मौसम की मार से सब्जी की फसलें आलू व टमाटर में पनपा झुलसा रोग सरसों की फसल प्रभावित कर सकता है। यदि मौसम का मिजाज ऐसे ही बना रहा और पुरूवा हवाएं चली तो सरसों की फसल में माहू कीट का प्रकोप बढ़ेगा। ऐसें बरतें एहतियात, करें दवा का छिड़काव जनपद के जिला कृषि रक्षा अधिकारी वृजेश कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि आलू व टमाटर की फसल में झुलसा रोग का प्रकोप होने पर नियंत्रण के लिए मैन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लूपी 0.8 किग्रा अथवा जिनेब 75 प्रतिशत डब्लूपी

0.8 किग्रा दवा की मात्रा को 250 से 300 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। सरसों की फसल में माहू कीट का प्रकोप होने पर एजाडिरैक्टीन 0.15 प्रतिशत ईसी एक लीटर या डाएमैथोएट 30 प्रतिशत ईसी 0.4 लीटर उपरोक्त दवाओं में से किसी एक दवा को 200 से 250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से खड़ी फसल पर छिड़काव करने से माहू कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

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