भक्त और चमचे में अंतर काली शंकर उपाध्याय की कलम से
इस समय देश में चुनावी सरगर्मियां बहुत तेजी से बढ़ी हुई है जिसके कारण सोशल मीडिया पर लगातार एक दूसरे से भेड़ते लोग नजर आते हैं इसमें मुख्य तरीके से दो लोग होते हैं एक भक्त और दूसरा चमचे आईए जानते हैं भक्त और चमचे में अंतर.
चमचो की पहचान
यह वामपंथी विचारधारा के भी होते हैं मुख्यतः यह अपने धर्म का विरोध करते हैं जिहादी भी होते हैं यह वामपंथियों और जिहादियों के भारतीय संरक्षक होते हैं इन्हें भारत का विकास नहीं दिखता है,कुछ चमचों को भारत माता की जय बंदे मातरम बोलने में भी दिक्कत होती है.
आइए जानते भक्त किसे कहते है,
भक्त और चमचे में क्या अंतर होता है. भक्तों को भक्तों को अपने धर्म और अपने आस्था पर पूरा विश्वास रहता है और वह हमेशा अपने धर्म और आस्था के लिए निष्ठावान होते हैं भक्ति को भारत माता की जय राष्ट्रगान से कोई आपत्ति नहीं होती है और विपत्ति देश का खुलकर विरोध करते हैं.
भक्त सदेव उद्देश्य की बात करते हैं और देश के बारे में ही सोचते हैं.
भक्त सदेव से ही अपने राष्ट्र और राष्ट्र सहित के लिए अपने ज्ञान निर्धारण करने के लिए भी सोचते हैं क्योंकि वह एक क्रांतिकारी विचारधारा के होते हैं.
भक्त देश हित मे सोचते है जबकि चमचे केवल अपने और अपनी पार्टी के बारे सोचते है
भक्त अंध नही है जबकि चमचे अंधे होते है.
भक्तो की एक बड़ी संख्या पढ़े लिखे लोगो की है जबकि चमचे आज तक अनपढ़ और गवार है.
भक्त की भक्ति में निस्वार्थ प्रेम होता है जबकि चमचे की चमचागिरी में अवसरवादिता और लालच होता है ,ये लोग हमेशा अपने स्वार्थ के लिए चमचागिरी करते है.
भक्तों की भक्ति अनन्त काल से है जबकि चमचो को चमचागिरी करते हुए 70 वर्ष हो चुके है.
भक्तो की भक्ति सभी लोगो को कल्याण के लिए प्रेरित करती है जबकि चमचो की चमचागिरी से केवल कुछ लोगो का ही भला हो पाया.
भक्त केवल योग्य व्यक्ति की भक्ति के लिए चुनते है जबकि चमचे किसी भी अयोग्य व्यक्ति को अपने स्वार्थ के लिए योग्य साबित करने पर तुले रहते है ।
अनादि काल से ही चमचे अस्तित्व में है और समय समय पर इन्होंने अपने होने का सबूत भी दिया है। कभी मंथरा तो कभी अर्जुनसिंह तो कभी जयचंद के रूप में ये सदा से ही इस धरती पर मौजूद रहे है।
मुख्यत: भक्तों से, भगवान से और हिंदू होने के बावजूद इन्हे धर्म के नाम से इन्हे अलर्जी नामक रोग होता है और इनसे ये अति नफरत करते है।
,सोशल मीडिया पर भक्त और चमचे खूब पोस्ट डालते है और आपस में चैटिंग और कमेंट के माध्यम से झगड़ा भी करते है,
इसीलिये DNA व NDA का ऩाम सुनकर इन्हे मिर्गी के दौरे आने लगते है,
ये भारत माता की जगह, सिर्फ राजमाता की जय बोलते है . गौ माता व गौ मूत्र के नाम से इन्हे खासा परहेज होता है | यह एक खास प्रकार के मूत्रपान को ही पवित्र मानते है, खाज तक से लेकर खबीस कुमार तक इनके पंसीदा चैनल होते है | आंकड़ों के अनुसार सिर्फ डेढ़ करोड़ भक्तों द्वारा रोज करीब 20 करोड़ चमचों को खूब जलील किया जाता है। मैकाले को ये अपना फूफा व वामंथियों को जीजा मानकर चलते है | रोहिंग्या व बांग्लादेशी घुसपेठियों को ये चचेरे ममेरे भाई बहनो की तरह स्नेह देते रहते है |
कवर फायरिंग के लिये ये कई बार कंजरवाल का भी इस्तेमाल किये लेते है . 2020-21 में कोराेना नामक महामारी आने पर पहले तो इसे बीजेपी की साजिश करार देंगे और फिर जब एक ट्रेलर देख लेंगे तो वैक्सीन भी लगवा देंगे.
तेजस्वी को ये ताऊ का लड़का, मायावती को बुआ व ममता बनर्जी को दीदी समझकर रेसपेक्ट देते रहते है | इन्हे दुनियां मे किसी से शिकायत नही,, सिर्फ मोदी जी और भक्तों के सिवा