प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में तेंदुए ने बढ़ाई बेचैनी, वन विभाग सवालों के घेरे में
चिरईगांव/वाराणसी
वाराणसी के चिरईगांव विकास खण्ड में बीते कुछ दिनों से तेंदुए की मौजूदगी ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र माने जाने वाले इस जिले में वन विभाग की तैयारियों को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीण रातें पहरे में काट रहे हैं, जबकि पुलिस और वन विभाग की टीम तेंदुए की तलाश में लगातार काम्बिंग कर रही है।
शनिवार को तेंदुए के रुस्तमपुर गांव के एक पुराने ईंट भट्ठे में होने की अफवाह फैली, जिसने चिरईगांव, चूना डीह, सीवों और बरियासनपुर जैसे आस-पास के गांवों में खौफ पैदा कर दिया। वन विभाग व पुलिस की टीम ने तत्परता दिखाते हुए क्षेत्र में सघन तलाशी ली, लेकिन यह सूचना गलत साबित हुई।
ड्रोन से निगरानी, रणनीति में बदलाव
एसडीओ राकेश कुमार के अनुसार, ड्रोन कैमरे की मदद से जहां तेंदुए को आखिरी बार देखा गया था, वहां से वह अब आगे बढ़ चुका है। पैरों के निशान उसके गंगा किनारे की ओर बढ़ने के संकेत दे रहे हैं। वन विभाग अब गंगा किनारे बसे दर्जनों गांवों में सर्च ऑपरेशन चला रहा है।
ट्रंकोलाइज़र गन की कमी बनी बड़ी चूक
ग्रामीणों में रोष इस बात को लेकर है कि यदि ट्रंकोलाइज़र गन समय से उपलब्ध होती, तो तेंदुए को पहले ही दिन पकड़ लिया जाता। राकेश मौर्या, दीपक मौर्या और अन्य ग्रामीणों ने वन विभाग की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में वन विभाग के पास जरूरी उपकरण ही नहीं हैं, तो बाकी प्रदेश का क्या हाल होगा?
वन विभाग की सफाई और अपील
डीएफओ स्वाति सिंह ने बताया कि तीन दर्जन से अधिक की संयुक्त टीम संभावित क्षेत्रों में पिंजरे, कैमरे और अन्य उपकरणों के साथ सर्च ऑपरेशन चला रही है। उन्होंने लोगों से अफवाहों से बचने की अपील की है।
निष्कर्ष
वन्यजीवों का आबादी वाले क्षेत्रों में पहुंचना चिंता का विषय है, लेकिन उससे भी बड़ी चिंता है संबंधित विभागों की तैयारी और समन्वय की स्थिति। यह घटना एक बार फिर प्रशासन को चेतावनी देती है कि प्रकृति के साथ तालमेल बैठाने के लिए तकनीकी और मानवीय संसाधनों को समय से उपलब्ध कराना आवश्यक है।